दिव्यांग होने से आखिरकार बचा नौजवान, एम्स के चिकित्सकों ने सफल सर्जरी कर किया कमाल
-पैर की हड्डी में कैंसर से जूझ रहा था सहारनपुर का युवक
ऋषिकेश: दो साल से पैर की हड्डी में कैंसर से जूझ रहे एक 26 साल के नौजवान को अब इससे छुटकारा मिल गया है। यह सब एम्स के चिकित्सकों की टीम ने कर दिखाया है। दावा है कि सफल सर्जरी ने उसे दिव्यांग होने से बचा लिया है। खास बात यह है कि युवक का पूरा इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया है।
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नसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल के मुताबिक सहारनपुर निवासी 26 वर्षीय मरीज के पैर की एड़ी में जिस स्थान पर कैंसर था। चिकित्सकों की टीम ने जटिल ऑपरेशन कर अब उक्त स्थान पर नया इम्पलांट लगाया गया है।
बताया कि वह पिछले 2 साल से पैर की एड़ी में कैंसर की समस्या से जूझ रहा था। एड़ी की हड्डी में कैंसर से उसके पैर में सूजन आ गई, जिससे युवक को चलने-फिरने में तकलीफ हो रही थी। इलाज के लिए वह पहले सहारनपुर और मेरठ के कई बड़े अस्पतालों में गया, मगर हड्डी में कैंसर की वजह से चिकित्सकों ने इलाज से हाथ खड़े कर दिए।
सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग के सर्जन डा. राजकुमार ने इस मरीज के इलाज के लिए विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की संयुक्त टीम बनाई गई। सीटी स्कैन जांच से पता चला कि उसके पैर की हड्डी में कैंसर बहुत आगे तक फैल चुका है, जिसका कीमोथैरेपी या फिर रेडियोथैरेपी विधि से इलाज मुमकिन नहीं है। ऐसे में टीम ने लिम्ब साल्वेज सर्जरी करने का निर्णय लिया।
सर्जरी में 4 घंटे का समय लगा, जिसमें करीब 12 डाॅक्टरों की टीम शामिल थी। बताया कि इस तकनीक से किया गया एम्स का यह पहला ऑपरेशन है।
निदेशक रविकांत ने दी शाबाशी
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने सफलतापूर्वक सर्जरी के लिए चिकित्सकों की टीम की प्रशंसा की है।
कहा कि एम्स में अत्याधुनिक तकनीक युक्त विश्वस्तरीय इलाज की सुविधाएं मौजूद हैं।
वहीं, सर्जरी करने वाले चिकित्सकों की टीम में सर्जिकल ओंकोलॉजी विभाग के डाॅ. राजकुमार, आर्थोपेडिक विभाग के डाॅ. मोहित धींगरा, प्लास्टिक सर्जरी विभाग की डाॅ. मधुबरी वाथुल्या और एनेस्थीसिया विभाग के डाॅ. अंकित आदि शामिल थे।
आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज कंडवाल और विभाग की प्रोफेसर शोभा एस. अरोड़ा ने भी सर्जरी करने वाले टीम सदस्यों की सराहना की।
क्या है ’लिम्ब साल्वेज सर्जरी’
रोगी की जान बचाने के लिए कई बार शरीर के गंभीर रोगग्रस्त या दुर्घटनाग्रस्त अंगों खासकर हाथ-पैरों को ऑपरेशन कर काटना पड़ता है।
अंग- भंग हो जाने से पीड़ित व्यक्ति की निजी, आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
लेकिन ऐसी स्थिति में अब अंग रक्षण शल्य-क्रिया (लिम्ब साल्वेज सर्जरी) का उपयोग किया जा रहा है।
मुख्यरूप से कैंसर हो जाने पर लिम्ब साल्वेज सर्जरी अत्यधिक उपयोगी है। इसके द्वारा हड्डी और सॉफ्ट टिश्यूज में फैली कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को हटाने के साथ ही अंग को विच्छेदित होने और इस प्रकार पीड़ित व्यक्ति को विकलांगता से बचाया जा सकता है।