बैकडोर नियुक्तियों के रिकार्ड तीन सप्ताह में कोर्ट में पेश करने के आदेश
देहरादून। विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा और याचिकाकर्ता को तथ्यों और रिकॉर्ड के साथ 3 हफ्ते में कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए।
उत्तराखंड में विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता के विषय में देहरादून निवासी कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है जिसपर शनिवार को हाईकोर्ट नैनीताल में सुनवाई हुई। इस विषय पर विधानसभा ने एक जाँच समीति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया, किंतु यह घोटाला राज्य 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था जिसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है , अतः विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने हेतु व लूट मचाने वालों से सरकारी धन की रिकवरी हेतु अभिनव थापर ने हाईकोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका दायर की। इस याचिका का हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया और 30 नवम्बर 2022 को सरकार को 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया और विधानसभा ने अपना जवाब हाईकोर्ट में दाखिल कर दिया किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण है की हाईकोर्ट के पुनः 01 मई 2023 को नोटिस के बाद भी 8महीने बीत जाने पर भी प्रदेश सरकार ने अभी तक न्यायलय को कोई जवाब नहीं दिया है। याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 2003 शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है। याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि याचिका में मांग की गई है की राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक विधानसभा में बैकडोर भ्रष्टाचारी नियुक्तियां करने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों व मुख्यमंत्रियों भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूला जाय। सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी है जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा किया है, यह सरकारों द्वारा जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है। वर्तमान सरकार दोषियों पर भी कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है और हम प्रदेश के 10 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को उनका हक दिलवाने की लड़ाई लड़ रहे है। उल्लेखनीय है की भाजपा के पूर्व सांसद, पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर, सोशल एकाऊंट से ट्वीट कर विधानसभा से निलंबित 228 कर्मचारियों के पुनः बहाली हेतु आग्रह किया। इससे उत्तराखंड के 10 लाख शिक्षित बेरोजगार युवाओं के हितों एवं हककृहकूक की रक्षा हेतु याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने पुरजोर विरोध भी किया है। जनहित याचिका के हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा युक्त पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा और याचिकाकर्ता को तथ्यों और रिकॉर्ड के साथ 3 हफ्ते में कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए। अगली सुनवाई की तिथि 4 अगस्त को तय की गई है।