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किसानों के विरोध के बाद, राज्यसभा में खेती से जुड़े दो बिल पेश: कांग्रेस ने बिलों को बताया किसानों का डैथ वारंट

किसानों के विरोध के बाद,  राज्यसभा में खेती से जुड़े दो बिल पेश: कांग्रेस ने बिलों को बताया किसानों का डैथ वारंट

दिेहरादून:  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से जुड़े विधेयकों को राज्यसभा में पेश किया। वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। राज्यसभा के 10 सांसद कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं।

रविवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने  खेती से जुड़े दो बिल( फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और (फार्मर्स  एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस) बिल राज्यसभा में पेश किए। तोमर ने दोनों बिलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह किसानों की जिंदगी बदलने वाले बिल हैं। जिसके चलते किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि इन बिलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से किसी प्रकार का कोई संबंध नहीं है।

इसी दौरान कांग्रेस ने इन बिलों को किसानों का डेथ वॉरंट बताते हुए, इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगी। इस पर वाईएसआरसीपी सांसद पीपी रेड्‌डी ने कांग्रेस को दलालों की पार्टी बताते हुए कहा कि कांग्रेस के पास इस बिल के विरोध का कोई कारण नहीं है। और वह दलालों के साथ खड़ी है। वहीें केंद्र की सरकार को समर्थन दे रहे अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने बिल को वापस सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की। गुजराल ने कहा किए इस बिल में कई प्रकार की खामियां हैं। इसलिए बिल से जुड़े सभी लोगों से चर्चा करनी आवश्यक है। व चर्चा के बाद ही बिल को पास किया जाए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके सभी विपक्षी दलों से इस बिल के विरोध में वोटिंग करने को कहा है। केजरीवाल ने कहा है कि सब मिलकर बिल का विरोध करेंआम आदमी पार्टी ने भी किसानों से जुड़े बिल का विरोध किया है। आज पूरे देश के किसानों की नज़र राज्यसभा पर है। राज्य सभा में भाजपा अल्पमत में है। मेरी सभी ग़ैर भाजपा पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हरायें, यही देश का किसान चाहता है।

वहीं केंद्र सरकार इस बिल को अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार का कदम बता रही है। जबकि, तमाम विपक्षी पार्टियों को इसमें किसानों का शोषण और कॉर्पोरेट्स का फायदा नजर रहा है

कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के विरोध के बाद भी एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल लोकसभा में पारित हो गया है। अब राज्यसभा में इस पर बहस जारी है।

जबकि इन बिलों को लेकर पंजाब.हरियाणा के किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। रविवार को भी बड़ी संख्या में किसानों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया। उधरए हंगामे की संभावना को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है। हरियाणा.पंजाब बॉर्डर पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई हैए ताकि किसानों द्वारा दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान किसी प्रकार का बवाल न हो सके।

राज्यसभा सदन में सदस्यों के आंकड़ों का गणित क्या है

245 सदस्यों वाली राज्य सभा में दो सीट खाली है। जिसके चलते कुल सदस्यों की संख्या 243 है। बिल पास कराने के लिए सरकार को 122 सदस्यों की आवश्यकता होगी।कोरोना की वजह से 10 सदस्य सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।अब भाजपा के 86 सांसद और उसकी सहयोगी दलों ;अकाली दल को छोड़करद्ध के सदस्यों को मिला लें तो यह संख्या 105 हो जाती है। सरकार को बिल पास कराने के लिए विपक्षी दलों के 17 सदस्यों का साथ चाहिए। 9 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन करने को कहा है। इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हो जाते हैं। शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया है। सदन में शिवसेना के 3 सदस्य हैं। ऐसे में बिल के समर्थन में 117 हो जाते हैं। अब सरकार को 5 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेडी के 9ए वाईएसआर कांग्रेस के 6ए टीआरएस के 7ए और टीडीपी के 1 सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है।

 

 

 

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