केदारनाथ उपचुनाव: भाजपा ने मतों का बनाया नया कीर्तिमान
रूद्रप्रयाग/देहरादून: सीएम धामी के लिए केदारनाथ उपचुनाव इसलिए भी बहुत चैलेंजिंग रहा कि कांग्रेस ने केदारधाम को लेकर भाजपा सरकार की जबरदस्त घेराबंदी कर दी थी। बावजूद इसके राज्य गठन के बाद सीएम धामी के नेतृत्व में हुए केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा को रिकॉर्ड मत मिले। 2002 व 2016 में भाजपा को क्रमशः 13 व 16 हजार मत मिले। जबकि 2022 में भाजपा प्रत्याशी शैलारानी रावत को 21 हजार से अधिक मत पड़े। जबकि 2024 में भाजपा 23 हजार से अधिक मत लेकर नया कीर्तिमान बना गयी।
इधर, 2024 के उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा के जरिये सीएम धामी को सीधे निशाने पर लिया था। अपनी पदयात्रा के जरिये कांग्रेस ने दिल्ली में केदारनाथ धाम निर्माण, यात्रा डायवर्ट ,आपदा, सोना का पीतल होना समेत अन्य कई क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर केदारघाटी में जबरदस्त निगेटिव माहौल बना दिया था। कांग्रेस की इस बमबारी में अपनों से भी गोला बारूद मिलने की खबरें भी आम हो रही थी। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में यह धारणा भी प्रबल होती चली गयी थी कि बदरीनाथ की तरह केदारनाथ में भी भाजपा संकट में घिरेगी।
भाजपा के दो दावेदार कुलदीप व ऐश्वर्या पर कांग्रेस ने भी नजरें टिकाई हुई थी। लेकिन चुनाव की तारीख करीब आते आते सीएम ने दोनों से बात कर उठ रहे विरोध के स्वरों को शांत कर दिया। और प्रचार में उतार दिया। बीते कुछ महीनों से केदारनाथ की पिच पर सीएम धामी को कांग्रेस ने अपने चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसा लिया था। नतीजतन, चुनावी जनसभाओं के अंतिम चरण में सीएम धामी ने केदारनाथ धाम व अन्य मुद्दों पर कांग्रेस के आरोपों का खुलकर जवाब दे बिगड़ती स्थिति को संभाला। इधर, भाजपा के केदारनाथ उपचुनाव के खराब नतीजों के बाद संभावित अंदरूनी हलचल पर भी नजरें गड़ाए हुए थे। मतदान से लगभग चार दिन पहले तक बेहतर स्थिति में नजर आ रही कांग्रेस इस तथ्य से संतुष्ट थी कि सीएम उनके चक्रव्यूह में बुरी तरह घिर गए हैं।
चूंकि, कांग्रेस के बड़े नेता गांव गांव भाजपा विरोधी एजेंडे की अलख जगा चुकी थी। ऐसे में 15 नवंबर के बाद हुई भाजपा की जनसभा में सीएम के केदारधाम को लेकर लग रहे आरोपों का जवाब देकर विपक्षियों के चक्रव्यूह पर पहला ठोस प्रहार किया। और पार्टी प्रत्याशी आशा नौटियाल के साथ मतदाताओं के समक्ष सनातन धर्म की रक्षा का मुद्दा रखा। सीएम धामी केदारघाटी के मतदाताओं के धर्म के मर्म को छूते हुए अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में नहीं फंसे। बल्कि अर्जुन की तरह कांग्रेस के चक्रव्यूह को भेद बदरीनाथ की हार का बदला ले लिया।