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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूजा-अर्चना के बाद कार्यभार संभाला, पहली बार पहुंचे सचिवालय

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूजा-अर्चना के बाद कार्यभार संभाला, पहली बार पहुंचे सचिवालय

देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पहली बार रविवार को सचिवालय स्थित अपने कार्यालय पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. रश्मि रावत भी मौजूद रहीं। सीएम ने विविधत पूजा-अर्चना करने के बाद वह सीएम कुर्सी पर बैठे।

कुर्सी पर बैठने से पहले उन्होंने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए सीएम कार्यालय में माथा टेका। सीएम तीरथ ने कहा कि हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के सूत्र वाक्य पर आगे बढ़ेगी व जनभावनाओं का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने सभी स्टाफ को ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा से काम करने की सलाह भी दी।

बता दें कि तीरथ ने सीएम पद की शपथ लेने के बाद प्रदेश के विकास के लिए अपनी प्राथमिकताएं भी गिनाई थीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए वह रणनीति बनाकर कार्य करेंगे।

उत्तरखंड के पहले शिक्षा मंत्री का पद संभाल चुके तीरथ कहते हैं कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कार्य करेंगे। यहीं नहीं, प्रदेश के पर्वतीय जिलों में सरकारी स्कूलों की स्थिति ठीक करने के साथ ही अध्यापकों के तैनाती सुनिश्चित करेंगे।

रावत ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य और पर्यटन पर भी विशेषतौर से फोकस किया जाएगा। कहा कहा पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएंगे।तीरथ का कहना था कि प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से रणनीति बनाकर कार्य करने की जरूरत है।

इसके लिए पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विर्मश करने प्लान बनाकर कार्य किया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मंत्रिमंडल का विस्तार शुक्रवार शाम को हुआ।

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 11 विधायकों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। त्रिवेंद्र सरकार में खाली चल रहे कैबिनेट मंत्रियों के तीन रिक्त पदों को भी इस बार भरा गया है। मंत्रिमंडल में त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को ही दोबारा जगह मिली है।

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब तीरथ सिंह रावत को विधानसभा का सदस्य बनना होगा। अभी वह पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं। इससे पहले, सीएम तीरथ ने प्रदेश के प्रमुख त्योहार फूलदेई के अवसर पर बच्चों के साथ पर्व मनाया। कहा कि वसंत ऋतु का यह पर्व सबके जीवन में सुख समृद्धि एवं खुशहाली लाए। यह पर्व प्रकृति के सरंक्षण एवं हमारी संस्कृति का प्रतिक है।

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