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उत्तराखंड के लिए वरदान साबित होगा दिल्ली-देहरादून इकोनामिक कॉरिडोरःमहाराज

उत्तराखंड के लिए वरदान साबित होगा दिल्ली-देहरादून इकोनामिक कॉरिडोरःमहाराज

-लोनिवि मंत्री ने पैदल चलकर किया टनल का निरीक्षण, कहा तेजी हो रहा है काम

देहरादून: कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को दिल्ली- देहरादून निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे का स्थलीय निरीक्षण कियाI इस दौरान उन्होंने दिल्ली-देहरादून इकोनोमिक कारिडोर और टनल का पैदल चलकर स्थलीय निरीक्षण कियाI

निरीक्षण के दौरान लोनिवि मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह कारिडोर हमारे लिए एक वरदान है। इसके बनने से हम मात्र -ढाई से तीनघंटे में दिल्ली पहुंच जायेंगे। उन्होंने कहा कि इसका निर्माण तेजी से चल रहा है और इसमें जो 3.60 किमी उत्तराखंड का हिस्सा है उसमें मार्च 2024 तक कार्य पूर्ण हो जायेगा। महाराज ने कहा कि दिल्ली- देहरादून आर्थिक गलियारा दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर के पास डी.एम.ई.से प्रारंभ होता है और -शास्त्री पार्क, खजूरीखास, मंडोला, खेकड़ा (बागपत) में ईपईई इंटरचेंज के माध्यम से मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी पर जाता है। इसके बाद बागपत -श्यामली, मुजफ्फरनगर
और सहारनपुर जिलों से गुजरने वाला ग्रीनफील्ड राजमार्ग सहारनपुर बाईपास पर मिलता है। इसके बाद मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग 344 और 307 का अनुसरण करता है जो छुटमलपुर, गणेशपुर, मोहंड, डाटकाली देवी स्थित सुरंग से होकर आ-शारोडी देहरादून पर समाप्त होता है।

महाराज ने कहा कि यह संपूर्ण परियोजना ईपीसी मोड पर है कॉरिडोर की कुल लंबाई लगभग 113 किलोमीटर 6 लेन (एक्सेस कंट्रोल) है। इस परियोजना की लागत 11970 करोड़ के लगभग है। इसे न्यूनतम 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के हिसाब से डिजाइन किया गया है। वर्तमान में देहरादून से दिल्ली की दूरी 235 किलोमीटर है जो कि इस कॉरिडोर के बनने के बाद घटकर 213 किलोमीटर रह जाएगी।

लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि दिल्ली सहारनपुर देहरादून आर्थिक गलियारे के निर्माण से इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा कहा कि उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग के लिए यह एक वरदान साबित होगा। इस कॉरिडोर में 5 आरओबी, 110 वाहन अंडर पास, आबादी क्षेत्र में 76 किमी सर्विस रोड तथा 29 किमी एलिवेटेड रोड और 16 एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स हैं।

महाराज ने कहा कि गणेशपुर से देहरादून का 20 किमी भाग वन्यजीव क्षेत्र से गुजर रहा है। जंगली जानवरों की आवाजाही प्रभावित न हो, वह एक से दूसरे जंगल में जा सकें इसके लिए इस भाग में 12 किलोमीटर लंबाई वाला एशिया का सबसे
लंबा वन्य जीव गलियारा एवं 1995 करोड़ की लागत की 340 मीटर लंबी सुरंग का निर्माण किया जा रहा है।

निरीक्षण के दौरान एनएचएआई परियोजना निदेशक पंकज मौर्य, अभियंता रोहित पंवार, टीम लीडर के.के. जैन, परियोजना प्रबंधक मोहन, परियोजना उपाध्यक्ष अतुल कुमार आदि मौजूद थे।