HTML tutorial

नेचुरल इम्युनिटी बढ़ाने में है मददगार, अभिशाप नहीं, वरदान है ओमीक्रोन :डॉ संजय राय

नेचुरल इम्युनिटी बढ़ाने में है मददगार, अभिशाप नहीं, वरदान है ओमीक्रोन :डॉ संजय राय

देहरादून: जहां कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को लेकर पूरी दुनिया के लोग दहशत में हैं। वहीं एम्स के रिसर्चर डॉ संजय राय ने इसे वरदान बताया है। उनका कहना है कि यह अभिशाप नहीं, वरदान साबित हो सकता है। डॉ राय ने अपने बयान में कहा है कि यह वेरिएंट लोगों में नेचुरल इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिन्हें एक बार कोरोना हो गया है और वो ठीक हो गए हैं, वो सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं। उन्हें वैक्सीन वालों की तुलना में ज्यादा प्रोटेक्शन है।

एम्स में कोवैक्सीन के ट्रायल को लीड करने वाले कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ संजय राय ने कहा कि हमें वैज्ञानिक आधार पर ही बात करनी चाहिए। साक्ष्य कहता है कि कई बार जब वायरस बहुत ज्यादा म्यूटेड होता है तो कमजोर भी होता है। ओमीक्रोन में ऐसा ही दिख रहा है कि यह बहुत ज्यादा संक्रमण कर रहा है, वैक्सीन की इम्युनिटी को क्रॉस कर ब्रेकथ्रू इंफेक्शन कर रहा है। कोविड से ठीक हुए लोगों में रीइंफेक्शन कर रहा है। कुछ लोग, जिन्होंने तीसरी डोज यानी बूस्टर ले रखी है, उनकी इम्युनिटी को भेद रहा है।

डॉक्टर राय ने यह भी कहा कि हमें ओमीक्रोन को लेकर बहुत ज्यादा टेस्ट करने में संसाधन बर्बाद नहीं करने चाहिए। इसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में हो तो ज्यादा बेहतर है। उन्होंने कहा कि हम एंडेमिक की तरफ जा रहे हैं।

यह माइल्ड असर कर रहा है। इतना माइल्ड की अधिकतर में लक्षण ही नहीं आ रहे हैं। जिनमें लक्षण आ रहे हैं, वो दो से तीन दिन में ठीक हो रहे हैं। इसलिए जिस ओमीक्रोन वेरिएंट से हम डर रहे हैंए हो सकता है कि यह हमारे लिए अभिशाप की जगह वरदान बन जाए। ठीक वैसे ही जैसे पोलियो और मिजलस की वैक्सीन काम करती है

उन्होंने कहा कि तेजी से फैल रहा है और इम्युनिटी भेद रहा है, लेकिन यह माइल्ड असर कर रहा है। इतना माइल्ड की अधिकतर में लक्षण ही नहीं आ रहे हैं। जिनमें लक्षण आ रहे हैं, वो दो से तीन दिन में ठीक हो रहे हैं। इसलिए जिस ओमीक्रोन वेरिएंट से हम डर रहे हैंए हो सकता है कि यह हमारे लिए अभिशाप की जगह वरदान बन जाए। ठीक वैसे ही जैसे पोलियो और मिजलस की वैक्सीन काम करती है, इन दोनों वैक्सीन बनाने में लाइव वायरस को कमजोर करके बनाया जाता है, जो शरीर में जाकर एंटीबॉडी बनाता है। जब शरीर में पोलियो या मिजलस आता है तो उसके खिलाफ एक्टिव होकर उसे रोकता है। ठीक इसी प्रकार यह ओमिक्रॉन वेरिएंट जिन्हें संक्रमित कर रहा है, उन्हें बीमार नहीं कर रहा हैए उनमें एक तरह से कोरोना के खिलाफ नेचुरल इम्युनिटी पैदा कर रहा है। अभी तक की रिपोर्ट के आधार पर यही देखा जा रहा हैए इसलिए मेरा अनुमान है कि यह हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है।

साउथ अफ्रीका में वहां की हेल्थ मिनिस्टरी ने आदेश जारी कर दिया है कि एसिम्टोमेटिक लोगों की जांच नहीं होगी। यह सही कदम है। ग्लोबल ट्रेंड दिखा रहा है कि ओमीक्रोन से डरने की जरूरत नहीं हैए माइल्ड है।

डॉक्टर राय ने कहा कि दिल्ली में एलएनजेपी का डाटा भी यही बता रहा है। अधिकतर लोगों में लक्षण ही नहीं थे। साउथ अफ्रीका में वहां की हेल्थ मिनिस्टरी ने आदेश जारी कर दिया है कि एसिम्टोमेटिक लोगों की जांच नहीं होगी। यह सही कदम है। ग्लोबल ट्रेंड दिखा रहा है कि ओमीक्रोन से डरने की जरूरत नहीं हैए माइल्ड है। संक्रमण तेज है, इसलिए यह बहुत तेजी से बढ़ेगा। यह सच है कि इस स्प्रेड को रोक पाना संभव नहीं है। इसलिए मेरी अपनी राय है कि टेस्टिंग पर पैसा या रिसोर्स का इस्तेमाल न करें। आपकी जितनी क्षमता है, जितनी जांच करेंगे, उतने मामले आएंगे। इससे फायदा नहीं होगा और बहुत ज्यादा जांच करने का कोई औचित्य भी नहीं है। इसका इस्तेमाल अपने इंफ्रास्ट्रक्चर पर करें तो बेहतर होगा। अब डब्ल्यूएचओ ने भी माना है कि लॉकडाउन इसका सॉल्यूशन नहीं है। इसलिए फोकस बीमार लोगों के इलाज और केयर पर होना चाहिए।