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एक बार फिर पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना

एक बार फिर पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना

देहरादून : आगामी उतराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियाँ जनता से जुड़े विशेष मुद्दों को लेकर एक दूसरे पर निशाना साध रही है I इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने बेरोजगारी, कोरोना महामारी के प्रबंधन, भ्रष्टाचार, खनन और दलित उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 भाजपा की नाकामियों के लिए याद किया जाएगा।

शुक्रवार को राजपुर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में रावत ने कहा कि बेरोजगारी ने युवाओं को आघात पहुंचाया है। वहीं कोविड कुप्रबंधन के कारण प्रदेशवासियों ने अपने कई प्रियजनों को खोया। इसके साथ ही हरिद्वार में कोविड जांच फर्जीवाड़े में भाजपा नेताओं के नाम आने से पूरा राज्य शर्मिंदा हुआ। सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि खनन में राज्य सरकार ने लूट की छूट दे रखी है। जिसके कारण हमारे गाड़-गदेरे, हमारी नहर-नदियोंं में रेत-बजरी की खुलेआम लूट मची है। जिससे कई सड़कें और पुल जमींदोज हो गए हैं। इस लूट ने मुख्यमंत्री को खनन प्रेमी के रूप में स्थापित कर हम सबकी छवि को खराब किया है।

वहीं दलित उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि राज्यवासी शर्मिंदा हैं कि दलित भोजन माता के हाथ का बना खाना न खाने व उन्हें आवाज उठाने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने कैबिनेट की ओर से वृद्धावस्था पेंशन में 200 रुपये वृद्धि को नाकाफी बताया। साथ ही कहा कि उनकी सरकार आने पर इसे 1500 से 2000 तक किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न राजनैतिक दलों के व्यक्तियों ने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की उपस्थिति में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

पत्रकार वार्ता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हल्द्वानी यात्रा पर सवाल पूछे जाने पर हरीश रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से की गई अधिकतर घोषणाएं यूपीए सरकार की देन हैं। जबकि कर्णप्रयाग रेल योजना व चारधाम यात्रा मार्ग तो कांग्रेस की सरकार की ओर से आरंभ की गई राष्ट्रीय योजनाएं हैं। वहीं लखवाड़ परियोजना को भी उन्होंने कांग्रेस सरकार द्वारा आरंभ की गई योजना बताया। कहा कि प्रधानमंत्री का यह कहना कि योजनाओं के विलंब के लिए कांग्रेस का दोष है। तो इस विलंब का दोष अटल बिहारी वाजपेयी व लाल कृष्ण आडवानी को भी दिया जाना चाहिए।