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बरसात में आल वेदर रोड के खस्ता हाल, दावों की खुली पोल

बरसात में आल वेदर रोड के खस्ता हाल, दावों की खुली पोल

देहरादून: उत्तराखंड में गढ़वाल- कुमाऊं व तराई तीनों संभागों में राज्य सरकार एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने बरसात के कारण होने वाले भू संख्लन भू धसाव जल भराव व बाढ़ से निबटने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए थे इसीलिए बरसात के दो सप्ताह से भी कम की अवधि में राज्य भर में चार धाम के सभी मार्ग, राज्य के प्रमुख राष्ट्रीय राज मार्ग व स्टेट हाई वे और हजारों संपर्क मार्ग जगह जगह से बंद हो गए हैं और आम जन जीवन प्रभावित हो गया है यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि राज्य का आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ नजर आ रहा है ठीक उसी तरह जैसे गर्मियों में हजारों हैक्टेयर जंगल जल गए किंतु आपदा प्रबंधन विभाग नदारद रहा।

धस्माना ने कहा कि हर समय आल वैदर रोड का ढिंढोरा पीटने वाली केंद्र सरकार व राज्य सरकार इस बात का जवाब जनता को दे कि पिछले पांच दिनों से बद्रीनाथ जी के दर्शन करने गए चमोली जनपद में हज़ारों तीर्थ यात्री भूखे प्यासे फंसे हैं और आपदा प्रबंधन विभाग का जिस तरह का सुस्त गति से काम चल रहा है उससे आल वैदर की सारी धारणा ही धराशाई हो गई है। धस्माना ने कहा कि पूरे रुद्रप्रयाग चमोली में आल वैदर रोड में लगातार भूस्खलन भू धसाव व बोल्डर गिरने की घटनाएं हो रही हैं तो इस बात की जवाबदेही सरकार की बनती है कि वो बताए कि आल वैदर की आखिर परिभाषा क्या है ? धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां अलग से आपदा प्रबंधन का मंत्रालय है और पूरा विभाग है किंतु यह भी सत्य है कि राज्य में इससे ज्यादा निकम्मा और भ्रष्ट कोई दूसरा विभाग नहीं है। धस्माना ने कहा कि टनकपुर से लेकर पिथौरागढ़ तक आल वेदर रोड पर सरकार ने ग्यारह सौ करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया और अभी दो सप्ताह से कम समय की बरसात में यह मार्ग एक दर्जन बार अवरुद्ध हो चुका है।