राज्य आंदोलनकारी दिल्ली और देहरादून में अपनी मांगों को लेकर गरजे
देहरादून/दिल्ली: देहरादून में राज्य आंदोलनकारियों के दो दलों ने विधानसभा को दो तरफ से घेर कर आज आंदोलनकारी मांगों को लेकर अपना जोरदार रोष व्यक्त किया। समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप के आह्वान पर एक तरफ समिति के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अनिल जोशी और महिला शाखा की अध्यक्ष सावित्री नेगी और उपाध्यक्ष अरुणा थपलियाल और जानकी प्रसाद के नेतृत्व में आंदोलनकारियों ने जबरदस्त पुलिस से मुठभेड़ की और विधानसभा परिसर में जाने में कामयाब हुए और ज्ञापन दिया वहीं दूसरी तरफ समिति के केंद्रीय संयोजक पूर्व राज्य मंत्री मनीष नागपाल और कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश सचिव पीयुष गौड के नेतृत्व में समिति के लोगों ने विधानसभा पर प्रदर्शन किया और सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया।
सत्याग्रह में सुशील बगासीमोहन सिंह रावत,विनोद चैहान,अजय माथुररमेश मनवाल भूपेन्द्र धीमानऔर सुदामा सिंह शामिल रहे।, दिल्ली में समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद प्रताप दिल्ली शाखा के अध्यक्ष ब्रज मोहन सेमवाल अचिन्हित प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मनमोहन शाह संरक्षक अनिल पंत के नेतृत्व में समिति के नेताओं ने पहले दिल्ली में उत्तराखंड सरकार के आवासीय आयुक्त के कार्यालय पर जोरदार सत्याग्रह किया और काले झंडे लेकर त्रिवेंद्र सरकार के विरुद्ध नारे लगाए। वहीं बाद में एक शिष्टमंडल उत्तराखंड सदन गया और सदन के अधिकारी वीरेंद्र कुमार वर्मा को ज्ञापन दिया। ज्ञापन देने वालों में सर्व धीरेंद्र प्रताप ब्रज मोहन सेमवाल मनमोहन शाह शिव सिंह रावत और जगदीश थपलियाल शामिल थे। यही नहीं राज्य के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शनकारियों ने राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की उपेक्षा को लेकर प्रदर्शन किए और राज्य सरकार की आंदोलनकारी विरोधी नीति के विरुद्ध मुख्यमंत्री के पुतले जलाए। रुद्रपुर में समिति की केंद्रीय अभियान समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट के नेतृत्व में सरकार का पुतला जलाया गया ।जबकि उत्तरकाशी में समिति के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विजेंद्र पोखरियाल के नेतृत्व में जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया गया। इसी तरह हल्द्वानी में जिला नैनीताल समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट के नेतृत्व में आंदोलनकारियों ने नई कृषि नीति के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। चंपावत अल्मोड़ा पिथौरागढ़ रुद्रप्रयाग व राज्य के कई अन्य स्थानों पर भी आंदोलनकारी सड़कों पर उतरे और उन्होंने जिलाधिकारियों और उप जिलाधिकारियों को आंदोलनकारी चिन्हिकरण, आंदोलनकारी आरक्षण, आंदोलनकारी पेंशन ,आश्रितों को नौकरी और पेंशन, गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाए जाने, सीमांत जनपदों में हो रहे पलायन को रोकने हेतु बेहतर शिक्षा बेहतर स्वास्थ्य और स्थाई रोजगार की व्यवस्था की मांग को लेकर सरकार के प्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए। इस बीच धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार को फिर चेतावनी दी है कि वह उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की उपेक्षा बंद करें ।नहीं तो पिछले काफी समय से चल रहा राज्य आंदोलनकारियों के अहिंसक आंदोलन ने यदि हिंसक मोड़ लिया तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और राज्य सरकार की होगी। दिल्ली के सत्याग्रह में बड़ी संख्या में वरिष्ठ आंदोलनकारियों ने भाग लिया जिनमें रणवीर सिंह पुंडीर रामेश्वर गोस्वामी ज्योति सेतिया,महेश देवरानी,किशोर रावत, जगदीश रावत,खुशहाल जीना, प्रेमा धोनी राजेंद्र रतूड़ी,जगदीश कुकरेती ,पत्रकार सतैन्द् रावत,दीप सलोडी,सुभाष भट्ट, हरि प्रकाश आर्य और उमा जोशी शामिल रहे।