सावन का अंतिम सोमवारः हेलीकाॅप्टर से पुष्पवर्षा के साथ निकाली गई टपकेश्वर महादेव की भव्य शोभायात्रा
चन्द्रयान- 3 की झांकी रही मुख्य आर्कषण का केन्द्र
देहरादून। सावन के अंतिम सोवार को भोलनाथ के जयकारों की गंूज के बीच महादेव शिव के विभिन्न स्वरूप की झांकियों के साथ श्री टपकेश्वर महादेव की 22वीं भव्य शोभायात्रा निकाली गई। टपकेश्वर महादेव मंदिर के 108 श्री महंत कृष्णा गिरी महाराज ने पूजा के साथ शोभायात्रा को रवाना किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शोभायात्रा में शामिल होकर शिव के सभी स्वरूप का दर्शन कर आशीर्वाद लिया। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ के जयकारे लगाए और भजनों पर जमकर झूमे। शोभायात्रा पर हेलीकाप्टर से पुष्पवर्षा की गई।
टपकेश्वर महादेव मंदिर के 108 श्री महंत कृष्णा गिरी महाराज के सानिध्य में सोमवार को शिवाजी धर्मशाला से सुबह 10.40 बजे आतिशबाजी व पुष्पवर्षा के साथ शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा सहारनपुर चैक, झंडा बाजार, हनुमान मंदिर, राजा रोड, कोतवाली होते हुए पलटन बाजार, जंगम शिवालय, घंटाघर, चकराता रोड, बिंदाल, दुर्गामल्ल पार्क, डाकरा बाजार, गढ़ी चैक होते हुए टपकेश्वर महादेव मंदिर में पहुंची।
इस अवसर पर श्री टपकेश्वर महादेव सेवा दल की ओर से निरंजनपुर मंडी से शिवाजी धर्मशाला, सहारनपुर चैक, झंडा बाजार, राजा रोड, पलटन बाजार, घंटाघर, बिंदाल, डाकरा, गढ़ी कैंट मार्ग पर 200 तोरण द्वार लगाकर सजाए गए थे।
यात्रा के पीछे-पीछे मार्ग पर सेवादारों की ओर से सफाई की जाती रही। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न धार्मिक, सामाजिक संगठनों के अलावा व्यापारियों की ओर से यात्रा मार्ग पर स्टाल लगाकर पानी, शर्बत, जूस, खीर, फल आदि वितरित किया किया गया।
यात्रा को भव्य बनाने के लिए हेलीकाप्टर से शिवाजी धर्मशाला, पलटन बाजार, घंटाघर पर सात कुंतल फूलों से वर्षा की गयी। महादेव के दूधेश्वर, तपेश्वर, देवेश्वर व टपकेश्वर स्वरूप, शिव बसरात, पार्थिव शिवलिंग, खाटू श्याम, महाकाल उज्जैन की भस्म आरती झांकियों के अलावा जलबपुर, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर व देहरादून के विभिन्न बैंड पार्टी, चंद्रयान-3 की सफलता व पर्यावरण संरक्षण को दर्शाते पोस्टर शोभायात्रा को भव्य बनाया।
इस मौके पर मंदिर के दिगंबर भरत गिरी, महापौर सुनील उनियाल गामा, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सेवादल के अध्यक्ष गोपाल कुमार गुप्ता, महासचिव महेश खंडेलवाल समेत विभिन्न मंदिरों के पंडित, मंदिर समिति के पदाधिकारी आदि शामिल रहे।