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केदारनाथ धाम में हो रही पूजा व्यवस्थाओं को लेकर वायरल वीडियो के बाद मन्दिर समिति के अध्यक्ष का आया बयान

केदारनाथ धाम में हो रही पूजा व्यवस्थाओं को लेकर वायरल वीडियो के बाद मन्दिर समिति के अध्यक्ष का आया  बयान

-वायरल वीडियो कोरोना काल का: अजेंद्र अजय

देहरादून: केदारनाथ धाम यात्रा के दौरान पूजा व दर्शनों की व्यवस्थाओं को लेकर वायरल हो रहे एक वीडियो के सम्बन्ध में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बयान जारी किया हैI समिति के अध्यक्ष ने इसको लेकर कहा कि यह विडियो उस समय का है जब वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी का दौर चल रहा थाI उस समय सरकार व साशन द्वारा जारी ए.सो.पी का पालन पूजा एवंम दर्शन करवाने के लिए किया जा रहा थाI धाम में आने वाले यात्रियों को मात्र सम्बन्धित पक्षकारों द्वारा दर्शन उपलब्ध कराये जा रहे थे।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अपने बयान में कहा कि सोशियल मीडिया में वायरल हो रहा एक वीडियो जो कि वस्तुतः वर्ष 2020 यात्राकाल का है, जब वैश्विक कोरोना महामारी व्याप्त थी। तब शासन द्वारा पूजा व दर्शन आदि को लेकर एस.ओ.पी. (मानक प्रचालन विधि) जारी की गयी थी, जिसके तहत मन्दिरों में जलाभिषेक, पूजाएं करना, प्रसाद चढाना, टीका आदि लगाना, मूर्तियों, घण्टियों समेत अन्य किसी भी वस्तु को छूना पूर्णतः प्रतिबन्धित था। एस.ओ.पी. के तहत ही किसी भी धाम में आने वाले यात्रियों को मात्र सम्बन्धित पक्षकारों द्वारा ही दर्शन उपलब्ध कराये जा रहे थे।

उन्होंने बताया कि परम्परानुसार केदारनाथ मन्दिर के कपाट प्रातः काल में खुलने एवं सायं काल में कपाट बन्द होने का समय निश्चित है। इस दौरान आदिकाल से चली आ रही समस्त पूजाएं, नित्य-नियम भोग, श्रृंगार एवं धर्म दर्शन की परम्परा लगातार चली आ रही है। सामान्यतः प्रातः काल में मन्दिर खुलने के बाद सभी श्रद्वालुओं को दर्शन कराये जाते हैं, जिसमें किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। परम्परानुसार श्रद्वालुओं द्वारा श्री केदारनाथ मन्दिर में महाभिषेक, रूद्राभिषेक, षोडषोपचार पूजा, प्रातः कालीन पूजा, सांय कालीन आरती एवं अर्चना पाठ पूर्ण करवाने का विधान है, जो आदिकाल से चली आ रही है। जिसका कि मन्दिर समिति लगातार पालन करती आ रही हैI इसके तहत सामान्य दर्शन बिना रोक टोक के पूजाएं, महाभिषेक, रूद्राभिषेक, षोडषोपचार पूजा, प्रातः कालीन पूजा, सांय कालीन आरती एवं अर्चना पाठ किये जा सकें। इन पूजाओं के लिए निश्चित समयावधि एवं संख्या मन्दिर समिति द्वारा निर्धारित की जाती है, जो सामान्यतः रात्रि के 12ः00 बजे से 03ः00 बजे के मध्य की जाती हैं। ताकि सामान्य रुप से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन में किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो।

उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी धाम में किसी भी प्रकार कि पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु बाध्य नही होते हैं| जिनको किसी भी प्रकार कि पूजा पाठ धाम में करवाना हो उन्हें ही प्राथमिकता दी जाती है| जिसका सम्पादन मन्दिर समिति के आचार्य एवं वेदपाठीगण करते है। पूजा सम्पादन हेतु श्रद्धालुओं को मन्दिर समिति द्वारा पूजार्थ द्रव्य, जलाभिषेक कलश, प्रसाद, रूद्राक्ष माला आदि दिये जाते हैं, जिसके एवज में श्रद्धालुगण समिति को सम्पादित होने वाले पूजाओं की समय अवधि को ध्यान में रखते हुए एक सहयोग राशि देते हैं।

अपनी इक्छा से संपन्न करायी गयी पूजाओं के बाद श्रद्धालुओं द्वारा दी गयी सहयोग राशि से भगवान के नित्य नियम भोग, पूजा, प्रसाद, पूजार्थ द्रव्य, भण्डारा, चिकित्सा व्यवस्था, यात्री विश्राम गृह निर्माण एवं रख-रखाव, संस्कृत महाविद्यालयों का संचालन, विद्यालयों में अध्ययरत् छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन आदि की व्यवस्था एवं मन्दिर समिति के पूजारी, अधिकारी, कर्मचारी, सेवाकारों को वेतन उपलब्ध करवाई जाती है।

पूजा की व्यवस्था वर्ष 1939 श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति के गठन से चली आ रही है, इससे पूर्व जब रावल व्यवस्था कायम थी तब से यह परम्परा चली आ रही है, जिसकी अपनी धार्मिक मान्यता है, जिसका निर्वहन करना मन्दिर समिति के अधिनियम के तहत भी उल्लिखित है।

श्री केदारनाथ धाम में जो श्रद्धालुगण दर्शन करते हैं, उनके द्वारा भगवान को अर्पित किये जाने वाले पूजार्थ द्रव्य वे बाजार से क्रय करते हैं। जिसका नियंत्रण समिति के अधीन नहीं रहता है।

कोरोना काल को छोड कर सामान्य स्थिति में मन्दिर में प्रवेश वाले श्रद्धालुगणों का विभिन्न पूजा स्थलों व गर्भगृह, पार्वती जी, श्री लक्ष्मी नारायण आदि स्थानों में टीका चन्दन समिति के आचार्य, वेदपाठी गणों द्वारा मंत्रोचार के साथ किया जाता है| श्रद्धालुओं से किसी भी प्रकार की धनराशि नहीं ली जाती है, श्रद्धालु अपनी इक्छा दान पात्रों में धनराशि अर्पित करते है, जिसकी निगरानी समिति के कर्मचारि व सी.सी.टी.वी. कैमरों के माध्यम से की जाती है। कोरोना काल में एस.ओ.पी. के तहत ये सभी प्रक्रियाएं बाधित थी।