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उत्तराखंड: उत्तर भारत के पहले ऑर्किड पार्क का उदघाटन

उत्तराखंड: उत्तर भारत के पहले ऑर्किड पार्क का उदघाटन

-स्थानीय स्तर पर किया जायेगा ऑर्किड सोसाइटी का गठन:  संजीव चतुर्वेदी

गोपेश्वर:  वन विभाग की शोध शाखा द्वारा उत्तराखंड उत्तराखंड में ऑर्किडों के संरक्षण के लिए कैम्पा परियोजना के तहत चमोली जिला मुख्यालय के समीप मंडल घाटी के खल्ला गॉंव में निर्मित ऑर्किड पार्क का बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के संयुक्त निदेशक डॉ एस के सिंह तथा वन शोध शाखा के मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी द्वारा स्थानीय लोगो की उपस्थिति में विधिवत ढंग से किया गया।

ऑर्किड पार्क में आयोजित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अथिति संबोधित करते हुए देश के प्रख्यात ऑर्किड विशेसज्ञ डॉ एस के सिंह ने कहा कि मंडल घाटी जहाँ अपनी नैसर्गिक छटा तथा सुरम्यता के लिए प्रसिद्ध है वही यह विश्व मानचित्र में बहुमूल्य ऑर्किडों की समृधता के क्षेत्र में भी अपनी एक अलग पहचान बना रहा है।आर्किडों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अभी तक ऑर्किड की 48 प्रजातियाँ खोजी गयी है।

बताया कि ऑर्किड वनस्पति जगत का सुंदर पुष्प है जो अपने विशिष्ट औषधीय गुणों के साथ ही अपने अदभुत रंग-रूप, आकार एवं आकृति तथा लंबे समय तक ताज़ा बने रहने की गुण के कारण अंतर्राष्ट्रीय पुष्प बाज़ार में विशेष स्थान रखता है। प्राचीन काल से ही ऑर्किड की चार प्रजातियों जीवक, ऋषभक, रिद्धि और वृद्धि का अष्टवर्ग के रूप में च्यवनप्राश में तथा इसकी कई अन्य प्रजातियों का उपयोग विभिन्न कई असाध्य रोगों में किया जाता रहा है।

इसी क्रम में आगे उन्होंने बताया कि यदि इनका संरक्षण उचित ढंग से किया जाय तो यह स्वरोजगार का एक अच्छा साधन बन सकता है। इनकी अधिकतर कई प्रजातियों के फूल कई दिनों से लेकर कई महीनों तक खराब नहीं होते हैं। जो वैश्विक बाजार में भारी माँग होने के चलते काफी महंगे दामों पर विकते है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वन संरक्षक वन अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने पार्क के निर्माण में ग्रामीणों के अभुतपूर्व सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में आर्किड़ों के संरक्षण मे जन सहभागिता सुनिश्चित करने के साथ ही इसे स्वारोजगारोन्मुखी बनाना भी है। इससे जहां स्थानीय स्तर पर कृषिकरण के जरिये आय के नए स्रोत विकसित किए जा सकेंगे वहीं स्थानीय युवाओं को आर्किड से जुड़े ज्ञान को विकसित करने की प्रेरणा मिलने से आर्किड के बारे में जानकारी के लिए उत्सुक रहने वाले पर्यटकों के लिए बेहतर प्रदर्शक की भूमिका में रोजगार प्राप्त करने का साधन बनाया जा सकता है। जिसके तहत संस्थान द्वारा ऑर्किड सोसाइटी बनाने की योजना को भी मूर्त रूप देने का प्रयास किया जा रहा है।

ऑर्किड सोसाइटी के माध्यम से प्रथम चरण में ऑर्किड संरक्षण को स्वारोजगार के रूप में अपनाने के इच्छुक युवाओं को एक्सपोजर विजिट कराने के पश्चात तकनीकी प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही संसाधन भी उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने बताया कि जंतु जगत में जो स्थान बाग का है वही स्थान वनस्पति जगत मे ऑर्किड का है। इसी क्रम में ऑर्किड के बारे मे आगे विस्तार से बात करते हुए उन्होंने बताया कि देश में ऑर्किड की कुल 1,256 प्रजातियां हैं। इनमें 388 प्रजातियां खतरे की जद में हैं।जबकि उत्तराखंड में ऑर्किड की 238 प्रजातियां है।प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण मंडल घाटी में अभी तक इसकी 48 प्रजातियां पायी गयी है।

कार्यक्रम में ऑर्किड पार्क के बारे में जानकारी देते हुए शोध शाखा के रेन्जर हरीश नेगी ने बताया कि मंडल घाटी में ऑर्किड के संरक्षण की अनुकूल परस्थितियों को देखते हुए स्थानीय वन पंचायत एवं महिला मंगलदल के सहयोग से संस्थान द्वारा 01 हे. क्षेत्र में 13 प्राजातियों के संरक्षण के साथ पार्क के निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। वर्तमान में पार्क में विलुप्ति के कगार पर पहुँच चुकी प्रजातियों के संरक्षण के साथ ही कुल 37 प्रजातियों का संरक्षण किया गया है। मंडल क्षेत्र में ऑर्किड की 48 प्रजातियां विद्यमान है । ऑर्किड पार्क में 35 प्रकार के ऑर्किड संरक्षित किए गए हैं। Cymbidium(सिम्बोडियम) , dendrobium(डेंड्रोबियम), coelogyne ,Thunia(थुनिया) जैसी सुंदर फूलों वाली ऑर्किड प्रजातियां प्रमुख है। कुछ औषधीय महत्व के ऑर्किड भी पार्क में उपलब्ध है।

इसी क्रम में आगे उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा ऑर्किड प्रजातियों के संरक्षण के साथ-साथ नयी प्रजातियों को खोजने का प्रयास भी किया जा रहा है।इसी क्रम में जून 2020 में Liparis pygmea ऑर्किड को पहली बार पश्चिम हिमालय क्षेत्र में पहली बार रिपोर्ट किया गया है।

कार्यक्रम में सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने कहा कि कुदरत ने हमें प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण भूमि प्रदान की है। इन संशाधनों का संरक्षण करने का कर्तब्य स्थानीय होने के कारण सर्वप्रथम हमारा ही है। उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य ही है कि चिपको की जन्मस्थली रही खल्ला गॉंव आज ऑर्किड संरक्षण के लिए भी विश्वमानचित्र पर अपनी एक अलग पहचान बना रहा है।

इस दौरान खल्ला गॉंव में आयोजित इस उद्घाटन कार्यक्रम में जे आर एफ मनोज नेगी, मंगला कोठियाल, वन सरपंच गोविंद बिष्ट, ग्राम प्रधान अरविंद विष्ट, वीरेंद्र विष्ट, मनवरसिंह बिष्ट मनवरसिंह नेगी, वीरेंद्र सिंह नेगी, रेखा देवी, सत्येश्वरी देवी, लता देवी, शंकुन्तला देवी, हेमा देवी, मायाराम, पुष्कर सिंह, बलवीर सिंह, मदन लाल, जसपाल लाल, किशन लाल जयनंद सहित मंडल घाटी के कई लोग मौजूद थे। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन विनय सेमवाल ने किया।

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