उजागर रंग महोत्सव में 100 से अधिक कलाकारों को मिला सम्मान
देहरादून: दून वर्ल्ड स्कूल रायपुर रोड में चल रहे तीन दिवसीय उजागर रंग महोत्सव का देर शाम को समापन हो गया। इस दौरान 100 से अधिक कलाकारों को सम्मानित किया गया। मंच संचालन प्रसिद्ध रंगकर्मी व निर्देशक धनंजय कुकरेती कर रहे थे। वहीं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के आयोजक संजय खान और राहत खान ने किया।
तीन दिनों तक चले कार्यक्रम में कलाकारों को भारत नाट्यम, बिहू, कत्थक, ओडिघ्सी, सेमी क्लासिकल, कुचिपुड़ी, मोहिनी अटृम, फॉक, मॉडर्न, सोलो, ग्रूप डांस प्रस्तुति के लिए प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा फैशन शो, ड्राइंग कम्पीटिशन व मेहंदी कम्पीटिशन में भाग लेने वाले कलाकारों को भी सम्मानित किया गया।
समापन समारोह के कार्यक्रम का उद्घाटन दून वर्ल्ड स्कूल की डायरेक्टर वीणा कालिया, मैनेजिंग डायरेक्टर मन्दीप डन एवं प्रिंसिपल संतोष कोटियाल ने संयुत्तफ रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत पानीपत से आये कलाकार राकेश कुमार ने शिव वंदना कत्थक डांस प्रस्तुत कर किया।
वहीं ग्वालियर से आई छात्रा वैष्णवी शर्मा ने गणेश वंदना की प्रस्तुति दी। फैंसी ड्रेस में मुजमा व लारिफ ने गुंजन सक्सेना की पायलट वाली ड्रेस पहनकर कैट वॉक किया और लड़कियों को पिंजड़ा तोड़ कर खुले आसमान में उडने का संदेश दिया।
वैष्णवी शर्मा को सोलो डांस में प्रथम पुरस्कार मिला। विदाशा अग्रवाल ग्रूप ने 9 प्रस्तुतियां दी।
इस ग्रूप की तीन विघार्थियों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लक्ष्मी एतराम को ग्रूप डांस में द्वितीय पुरस्कार मिला। वहीं सलक ग्रूप की अग्नि कटियार को जूनियर क्लासिकल डांस में द्वितीय पुरस्कार मिला। दूसरी ओर आशिमा शर्मा के क्लासिकल के बच्चे प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
सृष्टि व आकृति पांडेय को गढ़वाली फॉक डांस में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राकेश कुमार को अदभुत प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। हल्दवानी से आई नेहा साहू को मॉडर्न डांस में वेस्ट एवार्ड व ज्योति साहू को वेस्ट स्टॉल एवार्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में बतौर जज के रूप में असम से आये प्रह्लाद, संखनी की अध्यक्षा आभा शर्मा, उपाध्यक्ष प्रतिमा शर्मा, डिवाइन जोन की टेरो रीडर वर्षा मटृा, दिल्ली से आए फिल्म निर्देशक अशोक मेहरा, फैशन क्वीन रूचि पंत, हल्द्वानी से आए शिल्प कला के विशेषज्ञ नीरज मिश्रा मौजूद रहे।