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ढलती उम्र में जलते जंगलो से मायूस चिपको आंदोलन के सूरमा चिन्तित

ढलती उम्र में जलते जंगलो से मायूस चिपको आंदोलन के सूरमा चिन्तित

– खुद संभालेंगे जागरूक करने की कमान

-चिपको आंदोलन के दिनों के अनुभवों को किया साझा

-महिला व युवक मंगल दलों से सहयोग की अपील

गोपेश्वर:  राज्य में बेकाबू होती जा रही वनाग्नि की घटनाओ से चिन्तित वयोवृद्ध चिपको आंदोलनकारियों ने चिंतन गोष्ठि की।

उन्होंने लगातार बढ़ रही वनाग्नि की घटनाओ पर चिंता ब्यक्त करते हुए स्वयं सेवी संगठनों,युवाओं, से इस विपदा के समय. अपने वनों को बचाने के लिए आगे आने का आवाहन किया। साथ ही वन विभाग एवं प्रशासन का सहयोग करने की अपील की।

सर्वोदय केंद्र में चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल तथा सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के तत्वाधान में “दावानल के बड़ते प्रकोप से तुरंत कैसे निपटा जाय” विषय पर आयोजित गोष्ठी में जलते जंगलों पर चिंता ब्यक्त करते हुए, इस भीषण समस्या से निपटने के लिए अपने विचार रखे।

वयोवृध् चिपको आंदोलनकारी मुरारी लाल ने कहा की वन आंदोलन की जन्म भूमि में इस प्रकार धू- धू कर जलते हुए जंगलो को देखकर वो आज खुद को 88 वर्ष की उम्र होने के कारण सक्रिय रूप से कुछ भी न कर पाने की स्थिति में खुद को दुःखी व असहाय महसूस कर रहें हैं।

1973 में चिपको आंदोलन के दिनों के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय लोगों का अपने जंगलो के प्रति प्रेम ही कुछ और ही था। जो पेड़ कटने से पहले खुद ही कटने को तैयार थे।

तब जंगलो का जलना तो दूर वहाँ चिंगारी का उठाना भी नामुंकिन था। तब अपने जंगलो के प्रति यह प्रेम ही था कि महिलाएं उन्हें अपना मायका मानती थी।

आज हमारा अपने जंगलो के प्रति पहले की भाँति न तो वो लगाव रहा न ही प्रेम। यदि हमारा प्रेम रहता तो आज हमारे सामने ही हमारे जंगल यूँ ही नहीं जलते और नहीं आज हमारे सामने जलते जंगलो को देखकर हमारी किंकर्तब्य विमुड वाली स्थिति होती। अब जंगलो को बचाने के लिए युवाओं को हर हालत में आगे आना ही होगा।

गोष्ठी के दौरान उन्होंने बताया कि अपनी उम्र व स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए भी उन्होंने पिछले वर्ष सी पी बी सी ई डी विकास केंद्र द्वारा वन विभाग के सहयोग से क्षेत्र के गॉवों में वनग्नि से जंगलो को बचाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था।

जिसमें प्रथम चरण मे गोष्ठियों का आयोजन किया गया था। लेकिन लॉक डाउन के चलते दूसरे व तीसरे चरण का अभियान रुक गया था।

जिसके तहत गावों में वन सुरक्षा समिति का गठन करना तथा सभी समितियों का आपस मे तालमेल बड़ाने व वनग्नि के दौरान आपसी सहयोग के लिए व्हाट्स एप ग्रुप बनाने की योजना थी।

उन्होंने बताया की आज के हालत को देखते हुए वो स्वयं विकास केंद्र के सहयोग से जल्द ही “वन बचाओ यात्रा “के तहत वनाग्नि से जागरूक करने के लिए गाँवों में महिला मंगल दलों वन पंचायतों के साथ वनाग्नि पर सभाओ व गोष्ठिया तथा कस्बो में लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ सभाएं करेंगे।

गोष्ठी में रेंज अधिकारी आरती मैठाणी ने सभी लोगों विशेषशकर महिला मंगल दलों व युवक मंगल दलों से सहयोग की अपील करने के साथ ही रोडो पर आराजक तत्वो पर निगरानी रखने को भी कहा।

गोष्ठी में कलावती देवी, उमादेवी, देवेश्वरी देवी, मंगला कोठियाल,सरपंच दोगडी मोहन सिंह बर्तवाल,सरपंच कठूड धर्मेन्द्र सैलानी,प्रदीप फ़र्सवाँण, मनोज बिष्ट, सुरेंद् सिंह बिष्ट, मदन सिंह आदि ने भी गोष्ठी में अपने- अपने विचार रखे तथा वन बचाओ यात्रा में बढ़ चढ़कर सहयोग करने की बात कही। गोष्ठी में क्षेत्र के कई समाज सेवी व पर्यावरण कार्यकर्ता मौजूद थे।

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